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Showing posts from July, 2018

तुम्हारे बाद

अब कितना कुछ नहीं होगा! रात के सन्नाटे को चीरती तुम्हारी पुकार नहीं होगी, फर्श पर तुम्हारे गीले चप्पलों के निशाँ, गलतियों पर तुम्हारी डाँट नहीं होगी! बचपन में जब बिजली नहीं होती थी, गर्मियों में तुम मुझे रात भर पंखा झलती, अब नींद में उस पंखे की शीतल चर्र चर्र भी नहीं होगी! वो जुग जुग जीने का आशीर्वाद नहीं होगा, वो अपरिमित अथाह प्यार, उन झुर्रियों से मिलते उत्साह का संचार नहीं होगा! अब जब तुम नहीं हो, तो कितना कुछ नहीं होगा! अब तो सिर्फ़ तुम्हारी अनंत यादें होंगी, घर में तो नहीं, पर मन में गूँजती तुम्हारी आवाज़ें होंगी, हरदम तुम्हारे संघर्षों की बातें, ना जाने कैसे बिन तुम्हारे ये दिन-रातें होंगी! पता है, धीरे धीरे आदत लग जाएगी, तुम्हारे अनुपस्थिति की, पर ये आदत भी तुमसे खिलाफत होगी, हमेशा की तरह इस बार भी माफ़ कर देना तुम, इस से बड़ी और क्या राहत होगी! क्या लिखूँ ,कैसे और कितना लिखूँ , काँप रही हैं उँगलियाँ थर्रा जाता हूँ ये सोचकर, तुम नहीं होगी अब, अब कितना कुछ नहीं होगा! 

एक अधूरी कविता

एक अधूरी प्रेम कहानी अधूरी क्यों होती है? शायद लेखक और लिखना न चाहता हो, या स्याही ख़तम हो गई, या पन्ने, समय भी तो ख़त्म हो जाता है कभी कभी, एक अधूरी कहानी के अधुरे होने की, कहानियाँ भी बहुत होती हैं! किरदार बदल जाते हैं, कभी व्यवहार बदल जाते हैं, कहानियों में बहुत कुछ है, जो हर बार बदल जाते हैं, इन बदलते चीज़ों के बदल जाने की, निशानियाँ भी बहुत होती हैं! लेखक और किरदार ही दोषी क्यूँ, एक ज़माना भी तो है, कहानियों के अन्तिम पन्ने चुराने वाला, प्रेम-पुस्तक को दीमक बन खाने वाला, छद्म अभिमान के तडिताघात में झुलसी, जवानियाँ भी बहुत होती हैं! अनगिनत कारण हैं कि एक अधूरी प्रेम कहानी , अधूरी होती है!