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Showing posts from September, 2017

बिहार से तिहाड़: फर्जी समीक्षा

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आज मैं नेपाल में हूँ, बाहर बारिश हो रही है, काफ़ी रोमांटिक मौसम हैं, प्यार वाला फील देने वाला! और मैं गर्लफ्रेंडाभाव में "बिहार से तिहाड़" पढ़ रहा हूँ अकेले बैठे-बैठे। बिहार से तिहाड़ कथित तौर पर "हर घर अफ़ज़ल" योजना के जनक, "आजादी" फेम क्रांतिवीर कन्हैया कुमार जी की ऑटोबायोग्राफी है। ये किताब कहानी है गाँव के अभावों से निकले एक बच्चे और उसके संघर्ष की, जो एक दिन हर news चैनल के प्राइम टाईम का मुद्दा बन गया था! 244 पन्नों की यह किताब 5 हिस्सों में बँटी हुई हैं-बचपन, पटना, दिल्ली, JNU, और तिहाड़! बचपन की कहानी कन्हैया के संघर्षों की कहानी है। बिहार के एक छोटे से गाँव में रहने वाले ग़रीब परिवार को किन किन दुष्वारियों का सामना करना पड़ता है, इसका बड़ा ही सजीव वर्णन कन्हैया ने काफ़ी आसान भाषा में किय़ा है! अगर आप लोअर मिडिल क्लास से हैं तो आप कन्हैया के बचपन के दिनों से काफ़ी जुड़ाव महसूस करेंगे, इसे पढ़ते हुए आपको लगेगा कि कहीं ना कहीं आपने भी इस पल को जिया है। बचपन में पैसों के अभाव में भी कन्हैया के संघर्षपूर्ण पढ़ाई की कहानी सच में प्रेरणादायक हैं। एक जगह कन्हैया ने

स्वच्छ भारत का चश्मा

आज तड़के सुबह फरजिवाल जी ने एक प्रेस कॅान्फ्रेंस आयोजित की। जब हम प्रेस कोन्फ़्रेन्स में पहुँचे तब फ़र्ज़िवाल जी मफ्लर बान्ध पहले से ही वहाँ धरने वाली मुद्रा में बैठ ‘भगवान का शैतान से हों भाइचारा’ का लिरीक्स याद कर रहे थे! हमारे वहाँ पहुचने के बाद उन्हों ने मीडिया को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज हम यहाँ एक बड़ा खूलासा करने के लिये एकत्रित हुए हैं। “मैं देश की जनता को बताना चाहता हूँ कि स्वच्छ भारत के पोस्टर में गाँधी जी के चश्मे के नाम पर जो गोल फ़्रेम वाला चश्मा इस्तेमाल हो रह है, वो असल में गाँधी जी का है ही नही, वो चश्मा हॅरी पॅाटर का है। मोदीजी जब 2015 में इंग्लैंड गए थे, वहीं से उन्होंने अपने काले धन से वो चश्मा खरीदा था।” जब हमारे रिपोर्टर ने इसका सबूत माँगा तब श्री फरजिवाल जी ने जवाब दिया की “मैं इमानदार आदमी हूँ, मुझे सबूत देने की आवश्यकता नहीं है।” इतना कहकर वे अपने झाड़ू पर बैठकर जंतर मंतर की ओर उड़ गए। BJP के बड़े नेता ने इस आरोप पर सफाई देते हुए कहा कि, “हो सकता है कि हॅरी पॅाटर ने अपना चश्मा मोदीजी को गिफ्ट में दिया हो, हम इससे इनकार नहीं कर सकते, क्योंकि जनता मोदीजी को बहुत

फ़िल्टर वाले कैमरे का खौफ़

आज एक पोलर बियर (दारू वाला beer नहीं, भालू वाला bear) मिला था सुलभ शौचालय के सामने! Depression में लग रहा था....... दरअसल फेसबुक पर किसी कूल डूड का फोटू देख लिया था उसने..... Retrica या candy cam के वाइट फ़िल्टर वाला! उसके बाद से ही ख़ुद को काला महसूस कर रहा था......कह रहा था कि शायद उसे सन बर्न हो गया हैं और मुझसे फुहड़ एंड लवली वाली यम्मी गौतम का नंबर भी माँग रहा था........... बेचारा काला polar bear!

माँ, तेरी बहू कहाँ हैं?

कल रात 11 बजकर 40 मिनट पर चिकन खाकर उठने के बाद हमनें अच्छे से रगड़ रगड़ के हाथ मुँह धोया, थोड़ी देर फेसबुक, इंस्टाग्राम पर बकचोदी की, और फिर सोने चले गए! सोते ही सपने में माँ दुर्गा ने दर्शन दिए, वही चिर परिचित विकराल मनमोहक रूप......चेहरे पर गजब का तेज़, अष्ठ भुजाएँ..... जिनमें त्रिशुल,चक्र, गद्दा,धनुष,शंख,  तलवार, कमल,तीर धारण किए हुए माँ अपने चॉपर से उतरीं! हमनें माता को साष्टांग प्रणाम करते हुए कहा - हे माते, बहुत देर कर दी आते आते, पिछले साल गईं थी, और अब पूरे सालभर बाद आ रहीं हैं आप! माँ दुर्गा ने जवाब दिया -बेटा ये तुम्हारा कॉलेज नहीं है,जो क्लास बंक मार के मूवी देख रहे हो और कोई दूसरा प्रॉक्सी लगा देता है! हमारे यहाँ कानून है,सिस्टम है, सब काम शेड्युल से होता है! तुमलोगों के बीच में रहने का शेड्युल 10 दिनों का ही होता है! एक तो वैसे भी जब से ये प्राइवेटाइज़ेशन  चलन में आया है, साँस तक लेना दुभर हो गया है! रेलवे का प्राइवेटाइज़ेशन,  बिजली का प्राइवेटाइज़ेशन. ......हमारा देवी देवता का डिपार्टमेंट भी प्राइवेटाइज हो गया है अब, और वर्क लोड भी बहुत ज़्यादा बढ़ गया है, सो टाईम तो वैसे

जब प्रेमचन्द का हल्कु "दी आयुष" से मिला

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पूस की उस कंपकपाती रात में नीलगायों द्वारा सारा खेत चर जाने के बाद कर्ज़ चुकाने के लिए हल्कु के पास मजदूरी करने के अलावा और कोई रास्ता नही बचा था। शहर में दिहाड़ी मज़दूरों की पगार गाँव के मुकाबले थोड़ी अधिक होती है, तो हल्कु पास के शहर में मजदूरी करने चला गया जहाँ एक दिन किसी प्रकार उसकी मुलाकात 'The आयुष' से हुई। बातों बातों में श्रीमान् The आयुष को उसकी दुःख भरी कहानी का पता चला, जिसे सुनने के बाद उन्होंने कहा - सूनो हल्कु, ऐसे कब तक ठंडी रातों में सिहर सिहर के फ़सल की रखवाली करोगे? खेतिहर आदमी हो तुम, सुखा पड़े या बाढ़ आए, नुकसान तुम्हारा ही होगा, ज़्यादा चूँ -चाँ करोगे, मार दिए जाओगे और मुआवजे का पइसा लेते लेते तुम्हारी मेहरारु भी अडवाणी हो जाएगी! हम सेमी-ग्रेजुएट आदमी हैं, पढ़े लिखे हैं, ऊ भी किताबों से, whatsapp यूनिवर्सिटी से नहीं, तो ग़लत सलाह त नहीये देंगे तुमको! मेरी बात मानो, किसानी-मजुरी सब छोड़ो, समाजसेवी बन जाओ! सूखा पड़े या बाढ़ आए, कमाई तुम्हारी ही होगी! बहुत स्कोप है! हल्कु ने आश्चर्यमिश्रित प्रश्नसुचक निगाहों से The आयुष जी की तरफ़ देखा। हल्कु ये समझ नही पा रहा था क