बिहार से तिहाड़: फर्जी समीक्षा
आज मैं नेपाल में हूँ, बाहर बारिश हो रही है, काफ़ी रोमांटिक मौसम हैं, प्यार वाला फील देने वाला! और मैं गर्लफ्रेंडाभाव में "बिहार से तिहाड़" पढ़ रहा हूँ अकेले बैठे-बैठे। बिहार से तिहाड़ कथित तौर पर "हर घर अफ़ज़ल" योजना के जनक, "आजादी" फेम क्रांतिवीर कन्हैया कुमार जी की ऑटोबायोग्राफी है। ये किताब कहानी है गाँव के अभावों से निकले एक बच्चे और उसके संघर्ष की, जो एक दिन हर news चैनल के प्राइम टाईम का मुद्दा बन गया था! 244 पन्नों की यह किताब 5 हिस्सों में बँटी हुई हैं-बचपन, पटना, दिल्ली, JNU, और तिहाड़! बचपन की कहानी कन्हैया के संघर्षों की कहानी है। बिहार के एक छोटे से गाँव में रहने वाले ग़रीब परिवार को किन किन दुष्वारियों का सामना करना पड़ता है, इसका बड़ा ही सजीव वर्णन कन्हैया ने काफ़ी आसान भाषा में किय़ा है! अगर आप लोअर मिडिल क्लास से हैं तो आप कन्हैया के बचपन के दिनों से काफ़ी जुड़ाव महसूस करेंगे, इसे पढ़ते हुए आपको लगेगा कि कहीं ना कहीं आपने भी इस पल को जिया है। बचपन में पैसों के अभाव में भी कन्हैया के संघर्षपूर्ण पढ़ाई की कहानी सच में प्रेरणादायक हैं। एक जगह कन्हैया ने