माँ, तेरी बहू कहाँ हैं?

कल रात 11 बजकर 40 मिनट पर चिकन खाकर उठने के बाद हमनें अच्छे से रगड़ रगड़ के हाथ मुँह धोया, थोड़ी देर फेसबुक, इंस्टाग्राम पर बकचोदी की, और फिर सोने चले गए!
सोते ही सपने में माँ दुर्गा ने दर्शन दिए, वही चिर परिचित विकराल मनमोहक रूप......चेहरे पर गजब का तेज़, अष्ठ भुजाएँ..... जिनमें त्रिशुल,चक्र, गद्दा,धनुष,शंख, तलवार, कमल,तीर धारण किए हुए माँ अपने चॉपर से उतरीं!
हमनें माता को साष्टांग प्रणाम करते हुए कहा - हे माते, बहुत देर कर दी आते आते, पिछले साल गईं थी, और अब पूरे सालभर बाद आ रहीं हैं आप!
माँ दुर्गा ने जवाब दिया -बेटा ये तुम्हारा कॉलेज नहीं है,जो क्लास बंक मार के मूवी देख रहे हो और कोई दूसरा प्रॉक्सी लगा देता है! हमारे यहाँ कानून है,सिस्टम है, सब काम शेड्युल से होता है!
तुमलोगों के बीच में रहने का शेड्युल 10 दिनों का ही होता है!
एक तो वैसे भी जब से ये प्राइवेटाइज़ेशन चलन में आया है, साँस तक लेना दुभर हो गया है! रेलवे का प्राइवेटाइज़ेशन, बिजली का प्राइवेटाइज़ेशन.......हमारा देवी देवता का डिपार्टमेंट भी प्राइवेटाइज हो गया है अब, और वर्क लोड भी बहुत ज़्यादा बढ़ गया है, सो टाईम तो वैसे भी नही मिलता अनयुजुअल घूमने का। नारद इधर की बात उधर करने में तो पहले से ही माहिर था, इन दिनों थोड़ा ज़्यादा ही करने लगा है। वर्किंग आवर में घूमने लगे तो लंका लग जाएगी!
हमनें कहा कि आप तो भगवान हैं,और भगवान तो सर्वव्यापी होते हैं?
तो माँ दुर्गा ने जवाब दिया - अब कहाँ बेटा......सर्वव्यापी होना बीते ज़माने की बात हो गई हैं! तुमलोगो के भक्ति से ही तो हमें शक्ति मिलती है। ये JNU वाले महिषासुर की पूजा करते हैं, तू भी नास्तिक ही है, लोग पूज कम रहे हैं आजकल, तो शक्तियाँ भी रीड्यूस हो गई हैं हमारी, तू ही बता, कैसे रहे सर्वव्यापी?
अब तो सिर्फ़ दशहरा में 10 दिनों के लिए स्पेशल इफेक्ट्स वाले पावर आते हैं, बाकि दिनों में तो कॉमन इंडिपैंडेंट वर्किंग वूमन हूँ मैं भी, खाने के लिए मुझे भी हाथ पैर चलाना पड़ता हैं पुत्र!
मैंने चेहरे पर जबरदस्ती आश्चर्य वाला भाव लाते हुए कहा - आप तो भगवान हैं, आपको भी खाना पड़ता हैं?
माँ दुर्गा ने जवाब दिया - कितनी बार समझाऊँ पुत्र, तुम्हारे भक्ति से शक्ति मिलती है हमें, लोग किसी और के "भक्त" हो गए हैं अब तो आजकल भक्ति नही, खाने से शक्ति मिलती है, प्रोटीन और विटामिन.... पहले तो जंगलों से फल इत्यादि लेकर गुजारा कर लेते थे, अब तो जंगल में जाने पर जान का डर बना रहता है , ये "लाल सलाम" वालों ने इतना भौकाल मचाया हुआ हैं जंगल में, सरकार को तो घुसने नही देते, हम भगवान लोगों की क्या औकात......... बिना जॉब किए गुजारा नहीं है अब तो!
मैंने कहा - जंगल से याद आया माते, आपका वाहन बदला बदला सा लग रहा है, आपकी शक्तियाँ तो रीड्यूस हो गई हैं, फिर आपका शेर इतना हाईटेक चॉपर में कैसे मेटामोर्फोज हो गया?
माँ ने कहा - चॉपर ही है पुत्र,शेर नही हैं ये, शेर को तो "Save The Tiger" कैम्पेन वालों ने जंगल में ले जाकर छोड़ दिया, ये चॉपर का परमिट 10 दिनों के लिए मिला है नवरात्रि में, इसके बाद फिर पैदल.... बहुत कष्ट हैं पुत्र.... बहुत कष्ट!
माँ , आप तो दुसरों के कष्ट हरती हैं, आपको क्या कष्ट?
माँ थोड़ा गुस्सा होती हुई बोलीं - अभी आधार को पैन से लिंक कराने में दफ़्तरों के चक्कर लगाते लगाते घुटनों में दर्द हो गया, कुछ दिनों पहले नोटबंदी हो गया था, सारा कैश चेंज कराने में 42 दिन लग गए मुझे, सुबह से शाम बैंक में ही बीत जाता था!
ये बरमूडा ट्रैंगल रूपी GST समझने में सरस्वती बहन के दिमाग़ के भी पकौड़े लग गए थे!
तू पुछ रहा कष्ट क्या हैं हमें??
दुर्गा को काली रूप धरते देख हमनें टॉपिक चेंज करने में ही भलाई समझी, हमनें माँ दुर्गा से पूछा - माँ दुनिया जहां को छोड़िये, ये बताईये आपकी बहू कहाँ हैं, कैसी हैं, कब मिलेगी मुझसे??
माँ ने जवाब दिया -देखो पुत्र, ये आरक्षण तो तुम्हारे जीते जी ख़तम.......... मैंने बीच में टोका, माँ, आरक्षण कब ख़तम होगा मैं ये नहीं पूछ रहा, आपकी बहू कहाँ हैं, कैसी हैं, कब मिलेगी मुझसे??
ये बताइये!
सवाल सुनकर माँ दुर्गा थोड़ी सी सहम गई और अगल बगल ताकने लगी! शायद इसका जवाब प्रीपेयर करके नहीं आई थी!
थोड़ा परेशाँ मुद्रा में कुछ सोचने के बाद माँ ने कहा - व्याकुल ना हो पुत्र, वह बहुत जल्द ही तुझे मिल जाएगी, बस एक बार BJP वाले मन्दिर बनवा दे..............
इतना सुनते ही एक भयानक चीख़ के साथ मेरी नींद खुल गई!
मैं रोज़ नहाउँगा.....नवरात्र भर..... इतना जुल्म ना कर मुझपे माते....... 

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