प्रेम

हम पथिक हैं,
चलते जाएँगे अनवरत,
तुम तक पहुँचने को प्रतीक्षारत,
पर मिलना तुमसे,
ना हो सकेगा कभी,
क्योंकि
तुम मंज़िल नहीं कोई,
तुम पथ हो,
जिसका अन्त नहीं कोई।

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